
ऊपर खुला आसमान,
मुक्त भाव में उड़ते पक्षी,
सामने मीलों फैली हरियाली
ये मन कहता है- यहीं ठहर जा।
सामने बबूल का पेड़,
उस पर फैले पीले फूल,
छत की मुंडेर पर बैठी
गौरैया और मैना का झुंड
ये मन कहता है यहीं ठहर जा।
शोरगुल और भागमभाग से दूर
सुकून से भरा बीतता वक्त,
सुबह सूरज की पहली किरण,
शाम को सूरज की लालिमा
फैल जाती है खुले छत पर
ये मन कहता है यहीं ठहर जा ।
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