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अर्चना श्रीवास्तव
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अर्चना श्रीवास्तव
15 फ़र॰1 मिनट पठन
यहीं ठहर जा
खुला आसमान, हरियाली, पक्षियों का संग। सुबह की किरण, शाम की लालिमा—सुकून से भरा हर पल। मन कहता है—यहीं ठहर जा।
14 दृश्य
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अर्चना श्रीवास्तव
3 फ़र॰1 मिनट पठन
एहसास
कभी-कभी अपने होने पर भी भ्रम होता है । मै-मैं ही हूं या कोई और , सोचती कुछ हूं ,बोलती कुछ हूं, मतलब कुछ और निकलता है । हकीकत कुछ और...
26 दृश्य
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अर्चना श्रीवास्तव
28 दिस॰ 20241 मिनट पठन
रास्ते
चल पड़े जिस रास्ते, अभी इन रास्तो में उलझनें बहुत है । अभी तो उलाहने बाकी है अभी तो नाराज़गी बाकी है अभी तो सुनना बाकी है अभी तो सुनाना...
22 दृश्य
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अर्चना श्रीवास्तव
28 दिस॰ 20241 मिनट पठन
सोच
हमेशा तुम अपनी सोचते हो, कभी मेरे लिए सोच कर तो देखो । उलझने कभी आप की कम नही होती कभी मेरी उलझने सुलझा कर तो देखो । वक्त...
48 दृश्य
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