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इहिताकृति
अर्चना श्रीवास्तव
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अर्चना श्रीवास्तव
15 फ़र॰
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यहीं ठहर जा
खुला आसमान, हरियाली, पक्षियों का संग। सुबह की किरण, शाम की लालिमा—सुकून से भरा हर पल। मन कहता है—यहीं ठहर जा।
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